प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्या होता है ? | Progressive Overload Meaning in Hindi

क्या आप जानते है, प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्या होता है ? अगर आप जिम जाते है तो प्रोग्रेसिव ओवरलोड नाम तो आपने सुना ही होगा। हालांकि, यह ऐसा शब्द है जो आपको बहुत कम सुनने में आता है परन्तु आपके फिटनेस लाइफस्टाइल के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

Progressive Overload Meaning in Hindi

एक फिटनेस प्रोफेशनल के रूप में, मैं जिम में देखता हूँ कि कुछ जिम मेंबर्स डेली वर्कआउट करने आते है और एक जैसा वर्कआउट सालों-साल तक करते हैं।

उन लोगों द्वारा लगातार एक जैसा वर्कआउट साल भर करने के बाद भी उनकी बॉडी में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलता हैं। इसलिए क्योंकि उनकी बॉडी कम्फर्ट जोन में आने लगती हैं।

आपको बता दें, बॉडी में बदलाव तब तक नहीं आता है जब तक कुछ अलग और बॉडी को मजबूर ना किया जाएं। जब तक आप कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलेंगे आपकी बॉडी चैलेंज को एक्सेप्ट ही नहीं कर पाएगी।

बदलाव लाने के लिए आपको चुनौतीपूर्ण वर्कआउट, ट्रेनिंग और प्रोग्रेशन की जरूरत होती है और इसी विषय पर हम बात करने वाले हैं।

तो चलिए सीधे टॉपिक पर आते है और जानते है कि, प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्या है (Progressive Overload Meaning in Hindi) और इसे कैसे अप्लाई किया जाता हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्या है ? | Progressive Overload Meaning in Hindi

प्रोग्रेसिव ओवरलोड हिन्दी में अर्थ होता है, क्रमिक अधिभार या प्रगतिशील अधिभार। यह एक प्रकार का सिद्धांत (Principle) होता है जिसमें एक समय तक आप धीरे-धीरे Weight, Repetitions और Sets की संख्या को दिन-प्रतिदिन बढ़ाते हैं।

यह एक वर्कआउट ट्रेनिंग कॉन्सेप्ट होता है जो समय के साथ आपकी वर्कआउट क्षमता को बढ़ाता है और आपके मसल्स की अतिवृद्धि (Hypertrophy) को उत्तेजित करता हैं।

Progressive Overload से आपके मसल की स्ट्रेंथ, साइज, Endurance में दुगुना बदलाव होता हैं। इसलिए क्योंकि यहाँ पर आप अपने मसल्स को एक अलग प्रकार से ट्रेन करते हैं।

आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर कड़ी मेहनत करते है और अपने मसल्स पर अतिभार बढ़ाते है, रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) में वृद्धि करते हैं।

जिसके फलस्वरूप आपकी बॉडी में बदलाव होने लगते है और आपकी परफॉर्मेंस में वृद्धि होती हैं।

इसमें ट्रेनिंग के दौरान धीरे-धीरे अधिक भार उठाना, अधिक रेप्स करना, सेट्स बढ़ाना आदि को प्राथमिकता दी जाती है जो एक विशेष प्रकार की ट्रेनिंग होती हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड की सहायता से आप कुछ ही दिनों में अपनी मसल्स और पूरी बॉडी में बदलाव देख सकते हैं। यह आपकी मसल्स को मजबूत और बड़ा बनाने में मदद करता हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड का सिद्धांत –

वर्कआउट या एक्सरसाइज करते हुए जब आप धीरे-धीरे अधिक वजन उठाना, रेपेटिशन्स को बढ़ाना और आवृत्ति को बढ़ाना शुरू करते है, यही प्रोग्रेसिव ओवरलोड (प्रगतिशील अधिभार) का सिद्धांत होता हैं।

ट्रेनिंग के दौरान दिन-प्रतिदिन या सप्ताह-प्रतिसप्ताह प्रोग्रेसिव ओवरलोड करने से आपकी स्ट्रेंथ बढ़ती है और मसल्स ग्रोथ होती हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड के दौरान जरूरी नहीं है कि आपको हर बार अधिक से अधिक वजन ही उठाना हैं। आप कम वजन से शुरूआत करके अधिक वजन उठाने तक भी जा सकते हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्यो जरूरी है ?

यह एक विशेष सिस्टमेटिक प्रोसेस है, जिसका उपयोग आपके डेली वर्कआउट को चुनौती देने के लिए किया जाता हैं।

इसमें यह भी देखा जाता है कि आपकी बॉडी फिटनेस और थकान पर कैसे प्रतिक्रिया करती हैं। इस प्रकिया को Fitness-Fatigue Paradigm कहते हैं।

Progressive Overload आपकी परफॉर्मेंस, स्ट्रेंथ, मसल साइज, सहनशक्ति आदि को बढ़ाने के लिए बहुत ही जरूरी होता हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड का उपयोग कैसे करें ?

Progressive Overload का उपयोग करना कठिन बिल्कुल भी नहीं है परन्तु अच्छी फॉर्म और तकनीक के बिना इसे करना थोड़ा जोखिम भरा हो सकता हैं।

यह एक सरल कॉन्सेप्ट है परन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इसमें रेजिस्टेंस ट्रेनिंग को बेहतर बनाया जाता हैं।

यह केवल मसल ग्रोथ, स्ट्रेंथ, साइज को बढ़ाने के लिए उपयोग नहीं किया जाता हैं। इसके अलावा कार्डिओवैस्कुलर (हृदय संबंधी) फिटनेस और मेटाबोलिजम को भी बढ़ाने में सहायता करता हैं।

आपसे निवेदन है कि आगे आने वाले वाक्यों को ध्यान से पढ़ें और अच्छी तरह से समझें। यहाँ पर हम बाइसेप्स का उदाहरण समझने वाले हैं।

मान ले कि, आप बारबेल बाइसेप्स कर्ल का 1 सेट करते है, जिसके आप 8 रेप्स लगाते है जिसका टोटल वेट 20 किलोग्राम हैं।

आप इस वेट के साथ आसानी उठा सकते है और 3 से 4 सेट, समान रेप्स के साथ आसानी से कर लेंगे। और परिणामस्वरूप आपके बाइसेप्स में थोड़ा पम्प भी आ जाएगा और बड़ा भी हो जाएगा।

परन्तु यह आपके लिए आसान काम था क्योंकि इसमें आपको किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा। आपने आसानी से इन सेट्स को पूरा कर लिया।

जैसा कि आपका बाइसेप्स इस अधिभार के लिए अनुकूलित हो गया हैं। अब इस पर इस ओवरलोड को कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा हैं।

यदि आप लगातार 20 किलोग्राम के वेट से, 8 रेप्स के 3-4 सेट लगाना जारी रखते है तो आगे आपको अच्छे रिजल्ट्स देखने को नहीं मिलेंगे।

इसलिए क्योंकि आपके बाइसेप्स पहले से ही इस अधिभार को संभालने में सक्षम हैं। इससे आपके बाइसेप्स की स्ट्रेंथ और साइज नहीं बढ़ेगा।

अब आपको अधिभार को धीरे-धीरे बढ़ाना है जिससे कि यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो।

यदि आप बाइसेप्स पर प्रोग्रेसिव ओवरलोड डालते है तो बेशक आपके बाइसेप्स मजबूत और बड़े हो जाएंगे।

मतलब यह है कि आपको रेप्स, सेट्स, वॉल्यूम, आवृत्ति इन सभी को बढ़ाना होगा।

तो चलिए समझते है कि प्रोग्रेसिव ओवरलोड के तरीके क्या हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड के तरीके –

यहाँ पर हम जानेंगे 5 महत्वपूर्ण तरीकों के बारें में जिसकी मदद से आप इसे आसानी से अप्लाई कर सकते हैं।

(1) प्रतिरोध बढ़ाएं –

यदि बाइसेप्स कर्ल करते समय 20 किलोग्राम वेट उठाना बहुत आसान है तो बारबेल के दोनों साइड 2-2 किलोग्राम वेट बढ़ाने का प्रयास करें।

ध्यान रहें, यह अधिक चुनौतीपूर्ण होना चाहिए। आपको यह भी ध्यान रखना है कि जब आप वेट बढ़ाएंगे तो आपके रेप्स कम हो सकते हैं। इसकी चिंता ना करे, 1-2 रेप्स कम होना जायज हैं।

बहुत जल्द ही आप इस Resistance (प्रतिरोध) के साथ मजबूत हो जाएंगे और आपके बाइसेप्स मसल में बदलाव देखने को मिलेंगे।

(2) Repetitions बढ़ाएं –

यहाँ पर आपको बहुत ज्यादा रेप्स नहीं बढ़ाने है बल्कि आपको एक बेहतर रैप रेंज को ध्यान में रखना हैं।

जहाँ आप 8 रेप्स लगा रहें है, वहाँ पर आपको 10 से 12 रेप्स प्रति सेट करने हैं। और यदि 2-2 किलोग्राम वेट नहीं बढ़ा सकते तो कम से कम आधा-आधा किलोग्राम वेट तो बढ़ाना ही चाहिए।

अगर आप रेप्स (Repetitions) बढ़ाते हैं तो बेशक आपके मसल्स में अतिवृद्धि (Hypertrophy) होगी।

 

(3) आयतन (Volume) बढ़ाएं –

आयतन बढ़ाना यह Progressive Overload बढ़ाने का बहुत अच्छा तरीका हैं। आयतन बढ़ाने से मतलब आपको सेट्स, रेप्स और रेजिस्टेंस तीनो को बढ़ाना हैं।

यदि आप हर दिन 3 सेट्स की जगह 4 सेट्स करते है, 8 रेप्स की जगह 10 रेप्स करते है और वेट को भी अपने हिसाब से बढ़ाते है तो इससे मसल्स पर अलग तरह से जोर पड़ता हैं।

इसके फलस्वरूप आपके बाइसेप्स मसल्स में वृद्धि होती हैं।

(4) आवृत्ति बढ़ाएं –

वॉल्यूम की तरह आवृत्ति (Frequency) को बढ़ाकर भी आप ओवरलोड बढ़ा सकते हैं।

यहाँ पर आवृत्ति का मतलब वर्कआउट को बारम्बार करने से हैं। अगर आपका बाइसेप्स साइज थोड़ा कम है तब तो आवृत्ति बढ़ाना आपके लिए बेहतर साबित हो सकता हैं।

(5) सेट्स के बीच रेस्ट टाइम को कम करें –

प्रोग्रेसिव ओवरलोड को बढ़ाने का एक सबसे अच्छा तरीका है, सेट्स के बीच रेस्ट टाइम को कम करना।

सेट्स के बीच में रेस्ट कम करने से आप कम से कम समय में समान वर्कआउट को पूरा करते हैं जिससे आपका मेटाबोलिजम बढ़ता है और साथ ही साथ मसल हैपेरट्रोफी भी बढ़ती हैं।

प्रोग्रेसिव ओवरलोड के फायदे | Progressive Overload Benefits in Hindi

(1) यह आपकी अतिवृद्धि (Hypertrophy) को बढ़ाता हैं।

(2) इससे आपके मसल मास में बढ़ोत्तरी होती हैं।

(3) यह आपके मेटाबोलिजम को बूस्ट करने में मदद करता हैं।

(4) प्रोग्रेसिव ओवरलोड आपकी स्ट्रेंथ (ताकत) और सहनशक्ति को बढ़ाता हैं।

(5) यह आपको अधिक भार उठाने में सक्षम बनाता हैं।

(6) इससे आपके मसल्स बहुत ज्यादा मजबूत और बड़े बनते हैं।

(7) यह आपके कार्डिओवैस्क्युलर सिस्टम को भी बेहतर बनाता हैं।

इसप्रकार आप Progressive Overload को अपनी ट्रेनिंग में शामिल करते है तो इसके कई सारे फायदे आपको देखने को मिल सकते हैं। 

निष्कर्ष – यहाँ पर प्रोग्रेसिव ओवरलोड क्या है, इसका उपयोग, तरीके और प्रोग्रेसिव ओवरलोड के फायदे इन सभी बातों को बहुत अच्छे से आपको समझाने का प्रयास किया हैं।

आप भी इसे जरुर अपनाए इसे अपने वर्कआउट रूटीन में शामिल करें। बहुत जल्द ही आपको बेहतर रिजल्ट्स देखने को मिलेंगे।

उम्मीद है, Progressive Overload क्या होता है इस विषय पर पूरी जानकारी आपको मिल गयी होगी। अगर यह पोस्ट पसन्द आयी है तो इसे अपने Facebook और WhatsApp ग्रुप में Share जरूर करें।

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